सनातन संस्कृति परिषद्, ट्रस्ट सनातन संस्कृति की तरफ एक सच्चा कदम
Updates
सनातन संस्कृति परिषद् की वेबसाइट पर आप का हार्दिक अभिनन्दन है.

Aim of Trust

न्यास के उदेश्य:

  1. न्यास का मुख्य उद्देश्य मानव कल्याण व सभी असहाय जीवधारियों की सहायता व सेवा हेतु कार्य करना है जिसमें मानव समाज के साथ-साथ पश-पक्षी, जीव-जन्तु (चाहे कही भी निवास या विचरण करते हों) शामिल हैं।
  2. नवराष्ट्र निर्माण में राष्ट्रवादी गतिविधियों का संचालन करना व इन गतिवधियों को प्रोत्साहन देना। सनातन संस्कृति के अनुसार राष्ट्र निर्माण के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करना व प्रशिक्षण देना, चरित्र निर्माण तथा नैतिक मूल्यों की शिक्षा को प्रोत्साहन देना। अच्छे संस्कार तथा जीवन सुधार हेतु कार्यरत रहने वाली संस्थाओं को सहायता करना इस कार्य के लिए शिविर, सम्मेलनों, संगोष्ठियों का आयोजन करना और करवाना।
  3. नैसर्गिक आपदा जैसे कि बाढ़, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, भूकम्प, महामारी, आगजनी, व सांप्रदायिक दंगे, युद्ध या अन्य इसी प्रकार की अन्य आपदा व प्रकोप चाहे प्राकृतिक हो या मानव कृत में समाज व प्राणीयों की सहायता करना। गांव, ढाणी, तालुका, तहसील, जिला, राज्य, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राट्रीय स्तर पर सदस्यों का संगठन बनाना एवं उनको स्वयंसेवक के तौर पर प्रशिक्षित करना ताकि विपदा के समय राष्ट्र में सभी के सहयोग का कार्य किया जा सके।
  4. पशु, पक्षियों, जीव, जन्तुओं की सहायतार्थ आवश्यक कार्य करना आवारा, परित्यक्त, छोड़े गए पशुओं जीवों के लिए विशेष व्यवस्था करना विशेष कर गोवंश के लिए। वन्यजीवों के लिए सुविधाओं का निर्माण करवाना एवं स्थायी व्यवस्था करना।
  5. गोशालाओं का निर्माण करना, निर्माण में सहयोग देना, विशेष कर गायों के लिए दान की व्यवस्था करना व व्यवस्था करने के लिए संगठित व व्यवस्थित होकर स्थायी कार्य करना करना जिसमें सहयोग की नियमितता कायम की जा सके। गोशालाओं को व्यवसायिक स्तर पर चलाना ताकि गोवंश की उपयोगिता को प्रयोग करते हुए उनके संवर्धन, विकास, संरक्षण इत्यादि के उद्देशय को प्राप्त किया जा सके।
  6. शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धर्म स्थापना (सनातन धर्म से सम्बन्धित), उत्कृष्ठ कार्य (सार्वजनिक, सामाजिक व धमार्थ कार्य), पत्रकारिता (समाज के प्रति की गई पत्रकारिता) व अन्य क्षेत्रों में योगदान करने वाले व्यक्तियों को प्रतिवर्ष सम्मानित व पुरस्कृत करना ताकि आगे इस प्रकार के कार्यों को प्रोत्साहित किया जा सके।
  7. शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, जल संरक्षण संबंधित कार्य करना, इन से सम्बन्धित कायों के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार कर उनका क्रियान्वयन करना तथा पर्यावरण शुद्ध रखने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना, स्वच्छता के लिए समाज में जागरूकता लाना, पेड़-पौधे लगाना, स्कूल ग्राम आदि में पौधारोपण के कार्यकृम करना व इनमें नियमितता लाने के लिए सशक्त कार्यकृम तैयार कर उनका क्रियान्वयन करना। औधोगिक व आस पास के क्षेत्रों में हाने वाले अपशिष्टो व हानिकारक उत्सर्ज के लिए जन सामान्य को सचेत करना पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाना व औधोगिक इकाईयों द्वारा चलाए जाने वाले सामाजिक कार्यों को प्रभावी तरीके से कार्यानवित करने में सहयोग व निगरानी करना।
  8. समाज में नशा व मादक पदार्थो के सेवन करने वालों के लिए नशा मुक्ति के लिए कैम्प का आयोजन करना व कार्यकृम तय करके उसके अनुसार नियमित रूप से समाज के लोगों में नशा मुक्ति का अभियान चलाना।
  9. घरेलू हिंसा, दहेज, बाल हिंसा, अन्य अपराध पीड़ित, दलितों, निम्न या असहाय तबके के लोगों को विधिक व अन्य सहायता उपलब्ध करवाना व मार्गदशन देने के लिए जागरूकता कार्यकृम चलाना।
  10. परिवार कल्याण केन्द्र की स्थापना एवं कार्य करना। नवजात एवं प्रसूताओं के स्वास्थ के लिए कार्य करना, खर्च में अनुदान देना व स्थायी कार्यक्रम तय करना ताकि इस कार्य में नियमितता हो सके। जरूरतमंद लोगों व जीव धारियों को ओषधि व उपचार उपलब्ध करवाना तथा उपचार के लिए आर्थिक सहायता देना। इसके लिए योजनाऐं बना कर कार्यान्वित करना।
  11. चिकित्सायल, धर्मशाला, ब्लड बैंक, बच्चों के लिए आरोग्य केन्द्र आदि का निर्माण करना, संचालन करना, सहयोग अनुदान देना। पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष कार्य करना। स्वास्थय कैंपों का आयोजन करना व उनके खर्च में योगदान देना। वृद्धों के लिए वृद्धाश्रम अथवा वानप्रस्थाश्रम का निर्माण करना, व्यवस्था करना, संचालन करना।
  12. वृद्ध, दुर्बल, अपाहिज, अपंग (दिव्यांग), अनाथ बालकों व महिलाओं, भिखारीयों हेतु सहायतार्थ कार्यक्रम करना व उनके स्थायी सहायता के लिए आधार निर्माण करना, ऐसे कार्यों में जो संस्थाऐं कार्यरत हैं उन्हें सहायता देना, अनाथाश्रम खोलना, असहाय बच्चों का गोद लेना उनका शिक्षा, पालन पोषण इत्यादि का खर्च वहन करना। इनकी आर्थिक सहायता कराना, कम आय वाले दुर्बल लोगों को आजीविका के लिए साधन लेने हेतु आवश्यक आर्थिक सहायता करना अथवा सरल ब्याज पर ऋण की व्यवस्था करना, आजीविका के लिए अनुदान या पूरक सहयोग देना।
  13. जरूरतमंद योग्य विद्यार्थियों को छात्रवृति द्वारा सहायता देना, शिक्षा छात्रवृति के लिए प्रतियोगी परीक्षा, शैक्षिक प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाना, शिक्षा ऋण उपलब्ध करने में सहायता करना, उनकी शिक्षा के खर्च को पूर्ण या आंशिक रूप से वहन करना। सभी प्रकार की शिक्षा में सहयोग कराना व शैक्षिक गतिवधियों का संचालन करना, कोचिंग संस्थान, विधालय, महाविधालय, विश्वविद्यालय खोलना व उनका संचालन करना।
  14. खेलकूद प्रशिक्षण एवं खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाना। युवाओं के स्वास्थ्य से संबंधित खेलकूद व प्रतियोगिताओं के नियमित आयोजन की व्यवस्था करना व उसकी निगरानी करना।
  15. शिक्षित बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रदान करना व रोजगार प्रदान करने में सहयोग करना। ग्रामीण जागरूकता कार्यक्रम चलाना व ग्रामीण व पिछडे क्षेत्र के लिए विकास कार्य करना। सुशिक्षित बेकार युवाओं को निजी व्यवसाय शुरू करने हेतु सहायता देना या सरल व्याज पर ऋण की व्यवस्था करने में सहयोग करना। महिला व्यवसायिक प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करना व चलाना।
  16. जरूरतमंद, बेसहारा एवं विधवा महिलाओं, परित्यक्त महिलाओं व बच्चों की आर्थिक सहायता करना तथा उन्हें स्वावलम्बी बनाने हेतु आजीविका का साधन खरीदने उपलब्ध करवाने हेतु अनुदान या पूरक सहयोग देना।
  17. सामाजिक जागरूकता एवं शिक्षा को बढ़ावा देना। राजनीतिक चेतना जगाना व शिक्षित करना लोगों को स्वस्थ राजनीति करने के लिए प्रेरित करना। भ्रष्टाचार रोधक कार्यों के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करना तथा सदस्यों व स्वयंसेवकों को शिक्षित करना।
  18. सार्वजनिक धर्मार्थ संपत्तियों का निर्माण करना, रखरखाव करना, सुरक्षा उपाय करना, सार्वजनिक सम्पत्तियों का निर्माण कर समाज को या सरकार को सुपुर्द करना और भविष्य में उनके रखरखाव की व्यवस्था व देखरेख करना। सार्वजनिक संपत्तियों के रखरखाव व सार संभाल के लिए गोद लेना। पुरातात्विक संपत्तियों के रखरखाव के लिए संसाधन मुहैया करवाना उनका रखरखाव करना व इनके विकास का जिम्मा लेना। सार्वजनिक, ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व की संपत्तियों को खुर्दबुर्द होने से बचाने के लिए जरूरी कदम उठाना व उनपर किए गए अतिक्रमण को हटवाना।
  19. न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु राशि, शुल्क, दान, चन्दा, उपहार, वस्तु, स्थावर व जंगम सम्पत्ति आदि रूप में सहायता लेना अथवा दिलवाना जो कि किसी भी रूप में हो सकेगा जैसे कि नकद, वस्तु, सम्पत्ति या अन्य कोई रूप में हो सकता है।
  20. न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए व्यवसायिक व गैर व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन करना ताकि इन गतिविधियों से प्राप्त आय से न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति में लगाया जा सके व नियमितता कायम की जा सके जिससे कि दान प्राप्त करने की बाहरी निर्भता कम हो। न्यास के व्यवसायिक कार्याे से प्राप्त आय को न्यास के उद्देश्यों को पूरा प्रयोग में ही प्रयोग में लाया जा सकेगा अन्यत्र नहीं।
  21. न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु आवश्यक्तानुसार न्यास के लिए चल-अचल सम्पत्ति खरीदना, दान में लेना, किराए/लीज पर लेना व देना। न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु स्थाई आर्थिक आय हेतु उचित प्रबन्धन करना।
  22. न्यास के धर्मार्थ व अन्य सभी कार्य बिना किसी जाति, नश्ल (जीव व वन्य जीव), साम्प्रदाय के भेदभाव के समस्त जीवधारी प्राणियों के लिए किये जायेगें। चुकि पर्यावरण सभी जीवधारियों के लिए महत्वपूर्ण है अतः पर्यावरण से सम्बन्धित कार्य भी समान व महत्वपूर्ण रूप से किए जाते रहेंगे।
  23. न्यास के उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करने वाली संस्थाओं को सहायता देना या अनुदान देना। उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अन्य संस्थाओं से वित्तीय सहायता लेना व देना, वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेकर उद्देश्यों को पूरा करना। समान व मिलते जुलते उद्देश्य वाली संस्थाओं व संगठनों के साथ मिलकर कार्य करना, नई संस्थाओं जो कि इस ट्रस्ट के उद्देश्यों से मेल खाते हैं उनको प्रोत्साहन देना व उनके विकास में सहयोग करना, सहयोग का आदान प्रदान करना।
  24. जरूरी होने पर न्यास के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इसी प्रकार की या किसी विशेष उद्देश्य के लिए नई संस्था का सृजन या निर्माण करना या निर्माण में सहयोग करना ताकि न्यास के उद्देश्यों को पूरा करने में सहायक संस्थाओं की कमी को पूरा किया जा सके और प्रबन्धन को उचित ढंग से किया जा सके। एसी स्थिति में यह न्यास मातृ संस्था के रूप में कार्य करते हुए सभी सृजित संस्थाओं का संचालन करने के लिए जरूरी कदम उठा सकेगा।
  25. न्यास का मुख्य एवं महत्वपूर्ण उद्देश्य जाति, पंथ, संप्रदाय निरपेक्ष एवं सनातन धर्म सापेक्ष गतिविधियों सें संबंधित कार्य करना, सनातन धर्म से जुड़े हुए सामाजिक कार्यो को अधिमान से करना। एसे किसी भी कार्य को न्यास द्वारा नहीं किया जाएगा जो कि सनातन हिन्दू धर्म से मतभेद रखता हो। किसी भी व्यक्ति के साथ भिन्न जाति या संप्रदाय का होने के कारण भेदभाव नहीं किया जाएगा। न्यास से सहायता प्राप्त करने में सन्तूनल (समस्त जीवधारियों के मध्य) का विशेष ध्यान रखा जाएगा तथा प्रत्येक वर्ष इसकी समीक्षा की जाएगी व रिकार्ड रखा जावेगा। मनुष्य, जीव जन्तु व प्रकृति तीनो के मध्य समान रूप से संस्था के कार्यों में समता सुनिश्चित करते हुए कार्य करना।